परिचय (Introduction)
भगवान गणेश के जन्मदिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बुद्धि-समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है | मान्यता है कि भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था | अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त या सितंबर महीने में आता है | इस दिन हिंदू लोग गणेश मूर्ति स्थापित करते हैं | और अगले दिन प्रथम पूज्य गणेश की पूजा करते हैं | यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है
" वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ "
गणेश उत्सव महाराष्ट्र का विश्व में प्रसिद्ध है | गणेश उत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन पूरे होने के बाद 11वें दिन अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है | इस दिन को गणेश विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है | अनंत चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु लोग बड़ी धूमधाम के साथ सड़कों पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का नदी, झीलों, सरोवरों में विसर्जन करते हुए दिखाई देते हैं |
गणेश चतुर्थी का इतिहास (History of Ganesh Chaturthi)
पुराणों के अनुसार इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था इसलिए इसे गणेश जी के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है | गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है | यह उपाधि उनके पिता भगवान शंकर ने दी थी | इस दिन गणपति बप्पा को अपने घर में लाकर विराजमान करने से वे अपने भक्तों के सारे विघ्न बाधाएं दूर करते हैं | इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है | गणेश चतुर्थी को लोग गणेश जी को अपने घर लाते हैं गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन धूमधाम के साथ उन्हें अनंत चौदस के दिन नदियों झीलों सर ओवरों में उन्हें विसर्जित करते हैं
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भगवान गणेश जी की उत्पत्ति (Origin of Ganesha)
शिव पुराण के अनुसार एक बार की बात है कि नंदी को अपना द्वारपाल बनाकर मां पार्वती स्नान करने के लिए गई थी | तभी थोड़ी देर बाद भगवान शंकर वहां पर पार्वती से मिलने के लिए आये औरअंदर चले गए | लेकिन नंदी भगवान शंकर को मना नहीं कर पाए | और उन्हें जाने दिया इससे मां पार्वती बहुत नाराज हो गई जिसके कारण नंदी ने पार्वती मां का आदेश का उल्लंघन कर दिया | इसी कारणवश आगे चलकर मां पार्वती ने अपने तन के उबटन से एक मूर्ति बनाई| उबटन की मूर्ति में शक्ति डाली और उसे गणेश नाम दिया | इसके बाद मां पार्वती दूसरे दिन स्नान करने के लिए तैयार हुई और गणेश जी को द्वारपाल बनाकर स्नान करने के लिए चली गई | थोड़ी ही देर बाद भगवान शंकर जी पार्वती मां से मिलने आए | लेकिन गणेश जी ने भगवान शंकर को मां पार्वती से नहीं मिलने दिया| जिसके कारण भगवान शंकर क्रोधित हो गए|
और अपने गणों से कहा इस बालक को हटा दो लेकिन गणों ने भगवान गणेश को द्वार पर से नहीं हटा पाया | जिसके कारण भगवान शंकर बहुत क्रोधित हो गए और भगवान गणेश का सर धड़ से अलग कर दिया | भगवान गणेश की यह चीख सुनकर मां पार्वती बाहर आई और गणेश का सर देखकर बहुत जोर जोर से रोने लगी और मां पार्वती तो प्रलय लाने को उठा लिया | देवी देवता बहुत परेशान हो गए और भगवान शंकर से विनती करने लगे तब सभी देवी देवताओं ने मिलकर उनकी स्तुति की | और बालक को पुनर्जीवित करने के लिए कहा तब पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान शंकर ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया | पुराणों के अनुसार कहते हैं यह भी कि भगवान शंकर के कहने पर विष्णु जी एक हाथी का सिर काट कर लाए थे और वहां फिर उन्होंने उस बालक के धड़ पर रखकर उसे जीवित कर दिया था भगवान शंकर ने व अन्य देवी-देवताओं ने उस गजमुख बालक गणेश को अनेक आशीर्वाद दिए देवताओं ने गणेश गणपति विनायक विघ्नहर्ता प्रथम पूज्य आदि कई नामों से उस बालक की बालक को वरदान दिए इस प्रकार गणेश जी की उत्पत्ति हुई थी
Gaणेश चतुर्थी पहले एक ही दिन मनाया जाता था (Ganesh Chaturthi was earlier celebrated on a day)
अब उसे 10 दिन मनाया जाता है जब भारत में पेशावरो का शासन था | उसी समय क्रांतिकारी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सोचा कि
हिंदू धर्म को कैसे संगठित किया जाए | उन्होंने यह विचार किया कि गणेश जी ऐसे देवता हैं जिनको प्रथम पूज्य माना जाता है | गणेश उत्सव धार्मिक उत्सव है जिसके कारण अंग्रेज इसमें कोई दखल नहीं दे पाएंगे | इसी इसी विचार के साथ पुणे में सन 1893 में सार्वजनिक रूप से गणेश उत्सव की शुरुआत की | तिलक ने गणेश उत्सव को आजादी की लड़ाई के लिए एक प्रभावशाली साधन बनाया | इस संबंध में लोकमान्य तिलक में एक सभा आयोजित की गई| जिसमें यह तय किया गया कि भाद्रपद शुक्ल अनंत चतुर्दशी को गणेश उत्सव मनाया जाए | 10 दिनों में हिंदू उत्सव में हिंदुओं को एकजुट करने व देश को आजाद करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर भी विचार किया जाता था
15 Comments
Good content
ReplyDeleteThank u
DeleteVery good content
DeleteThank u
ReplyDeleteYou have written wonderful lines brother
ReplyDeleteThank u reader
Deletevery good
ReplyDeletevery good
ReplyDeletethank u
ReplyDeleteVery nice bro
ReplyDeleteThank u for give review.
ReplyDeletejai Ganesh
ReplyDeletejai ganesh
ReplyDeleteExcellent content keep it up
ReplyDeleteTynsm bro
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